झारखंड की राजधानी राँची को जलप्रपातों की नगरी कहा जाता है। ऐसे तो शहर से सौ किमी की दूरी के अंदर कई झरने हैं पर लोकप्रियता के हिसाब से दशम, हुँडरु और जोन्हा के जलप्रपातों का नाम सबसे पहले आता है। चूंकि ये सारे जलप्रपात बरसाती नदियों के बहाव के मार्ग पर बने हैं इसलिए इनको देखने का आनंद वर्षा ॠतु के ठीक बाद आता है।
रांची से करीब 45 किमी दूर हुंडरू फॉल रांची-पुरुलिया मार्ग पर स्थित है। यहां पर जब स्वर्णरेखा नदी 320 फीट की ऊंचाई से गिरती है तो अपने शबाब पर होती है। हालांकि फॉल के नीचे पानी स्थिर रहता है और एक पूल में जमा होता है। अगर आप चाहें तो इसमें नहाने का भी आनंद उठा सकते हैं।
इस जगह का शुमार राज्य के लोकप्रिय ट्रेकिंग स्थल के रूप में भी किया जाता है। इसलिए ऐडवेंचर को पसंद करने वाले लोग नियमित रूप से यहां आते हैं। बरसात के समय यह झरना नीचे तक बहता है, जिससे यह और भी मनमोहक हो उठता है। वहीं गर्मी के समय यह पिकनिक स्पॉट का काम करता है।
कैसे पहुंचे हुंडरू फॉल
रांची से करीब 48 किमी रांची-रामगढ़ की सीमा पर है हुंडरू फॉल. रांची-रामगढ़ के शहीद शेख भिखारी द्वार से सिकिदिरी थाना होते हुए हुंडरू फॉल पहुंचा जा सकता है. रांची के कांटाटोली, नामकुम, टाटीसिल्वे होते हुए अनगड़ा थाना से बायीं ओर होते हुए आते हैं, तो गेतलसूद होकर आप हुंडरू फॉल पहुंच सकते हैं.
जलप्रपात से सिकीदरी में पनबिजली का उत्पादन
हुंडरू प्रपात झारखंड राज्य में सर्वाधिक ऊँचाई से गिरने वाला प्रपात है, अत: पर्यटन पटल पर सर्वाधिक प्रसिद्ध भी यही है। स्वर्णरेखा नदी की जलराशि से प्रस्फ़ुटित इस प्राकृतिक झरने के ऊँचाई से गिरने का लाभ झारखंड राज्य को पनबिजली के रूप में विगत 50 वर्षों से प्राप्त होता आ रहा है। औसतन 100 मेगावाट पनबिजली इस परियोजना से पैदा होती है, जिसे सिकिदिरी प्रोजेक्ट के नाम से भी जाना जाता है।
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