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देवड़ी मंदिर (रांची)। आदिवासी और हिन्दू संस्कृति का संगम । धौनी वाला मंदिर । jharkhand tourism devdi mandir

झारखंड में स्थित  देवड़ी मंदिर बहुत ही प्रचलित है और माना जाता है कि यहां पर मांगी हुई मन्नत पूरी होती है।

मंदिर की अवस्थित / Location :-

  • रांची से करीब 60Km दूर
  • रांची-टाटा हाईवे (NH - 33) पर तमाड़ से 3 किलोमीटर की दूरी पर

मंदिर की स्थापना  :-

  • पूर्व मध्यकाल में लगभग 1300ई में सिंहभूम के मुंडा राजा केरा ने युद्ध से परास्त होकर लौटते समय इस मंदिर की स्थापना की थी।
  • कहा जाता है की देवी ने राजा केरा को सपने में आकर मंदिर की स्थापना करने को कहा था।
  • मंदिर की स्थापना के बाद राजा ने अपने दुश्मन को हराकर अपना राज्य वापस पा लिया था।

मंदिर की विशेषताएं :-

  • देवी काली की मूर्ति
  • ऊंचाई - 3.5 फीट 
  • माता की 16 भुजाओं वाली मूर्ति
  • इस मंदिर को बनाने में पत्थरों को काट कर एक दूसरे के ऊपर रखा गया है बिना जुड़े हुए।
  • यह मंदिर आदिवासी एवं हिंदू संस्कृति का संगम है।
  • इस मंदिर के पुजारी पाहन/Tribal Priest होते हैं जो सप्ताह में 6 दिन माता की पूजा अर्चना करते हैं।
  • सिर्फ मंगलवार को ब्राह्मण देवी की पूजा अर्चना करते हैं।
आदिवासी और हिन्दू संस्कृति का संगम

इस मंदिर को आदिवासी और हिन्दू संस्कृति का संगम कहा जाता है, क्योंकि इस मंदिर के पुजारी पाहन होते हैं, जो हफ्ते में छ: दिन माता की पूजा अर्चना करते हैं, सिर्फ मंगलवार को ब्राहमण देवी मां की पूजा अर्चा करते हैं।


प्राचीन देवड़ी मंदिर की कहानी। 
प्राचीन देवड़ी मंदिर में एक १६ भुजी मूर्ति है जो सोलहभुजी देवी के नाम से प्रख्यात है। इस मंदिर के निर्माण के सम्बन्ध में स्थानीय लोगों के दंतकथा के अनुसार केरा ( सिंहभूम ) का एक मुंडा राजा , जब अपने दुश्मन से पराजित हो गया, तब उसने वापस लौटते समय देवड़ी में जाकर शरण ली थी तथा यहाँ माँ दशभुजी का आह्वान कर उसकी मूर्ति स्थापना की थी। आह्वान के बाद उक्त मुंडा राजा ने अपने दुश्मन को पराजित कर अपना राज्य वापस ले लिया था। इस मंदिर को बनाने में पत्थरों को काट कर एक दूसरे के ऊपर रखा गया है बिना जोड़े हुए। ऐसी भी मान्यता है की सम्राट अशोक इस देवी के दर्शन के लिए आते थे। काला पहाड़ ने इस मंदिर को ध्वस्त करने की चेष्टा की थी. किन्तु उसे सफलता नहीं मिली थी। १८३१ - १८३२ के कोल आंदोलन के समय उद्दंड अंग्रेज अधिकारीयों ने इस मंदिर पर गोलियां चलाई थीं , जिसके चिन्ह स्पष्ट हैं। दूसरी रोचक बात ये है की मैंने इस मंदिर के अंदर की पुरानी बनावट की तस्वीर लेने की बहुत कोशिश की लेकिन तस्वीर साफ़ नहीं आई। मैंने कई तस्वीरें ली अलग अलग फॉर्मेट में लेकिन सब धुंधली आई।


कैप्टन कूल यानी महेंद्र सिंह धोनी अपना सिर झुकाते हैं, उनका मानना है कि, अगर वह आज जो कुछ भी हैं, तो मां दिउड़ी के आशीर्वाद से ही हैं। इस मंदिर में सिर्फ धोनी का परिवार ही नहीं बल्कि भारतीय टीम के गब्बर यानी शिखर धवन भी अपनी पत्नी के साथ देवी का आशीर्वाद लेने पहुंचते रहते हैं।

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